भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की जीवनी: एक देश भक्त जननायक के 10 महत्वपूर्ण बाते।

भारत रत्न- जननायक कर्पूरी ठाकुर की जीवनी

कर्पूरी ठाकुर

कर्पूरी ठाकुर की जीवनी, इनका जन्म (24 जनवरी 1924) को समस्तीपुर के पितौझिया नामक गाव में हुआ था, उनके पिता का नाम गोकुल ठाकुर और माता श्रीमती रामदुलारी देवी था।

कर्पूरी ठाकुर कौन थे

कर्पूरी ठाकुर भारत के स्वतंत्र सेनानी, शिक्षक राजनीतिज्ञ थे तथा उनके लोकप्रियता के कारण उन्हें  जननायक कहा जाता है, कर्पूरी ठाकुर बिहार राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री तथा बिहार के 11वे, और दो बार मुख्यमंत्री थे पहले दिसंबर 1970 से जून 1971 तक और फिर जून 1977 से अप्रैल 1979 तक मुख्य मंत्री रहे। 23 जनवरी 2024 को भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने का घोषण कि थी और 26 जनवरी को भारत रत्न से सम्मानित किया गाया।

कर्पूरी ठाकुर का निधन कैसे हुआ

कर्पूरी ठाकुर का निर्धन 17 फरवरी 1988  को (64 वर्ष) के आयु में बिहार के पटना में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गाया।

कर्पूरी ठाकुर बिहार मुख्यमंत्री कब बने

1970 में बिहार के पहले गैर कांग्रेसी समाजवादी मुख्यमंत्री बनने से पहले कर्पूरी ठाकुर ने बिहार के मंत्री और उप मुख्यमंत्री के के रूप में कार्य किया। उन्होंने बिहार में पूर्ण सरबबंदी भी लगी की। उनके सासनकाल में बिहार के पिछड़े इलाको में उनके नाम पर कई स्कूल और कॉलेज भी स्थपित किए गए हैं।

कर्पूरी ठाकुर की जीवनी
कर्पूरी ठाकुर की जीवनी
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न कब मिला

कर्पूरी ठाकुर के देहांत के 35 साल बाद भारत सरकार द्वारा 26 जनवरी 2024 को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च पुरुस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया। ठाकुर एक भारतीय राजनीतज्ञ थे

कर्पूरी ठाकुर कहा के मुख्यमंत्री थे

जिन्होंने 2 बार बिहार के 11 वे मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उनका पहला कार्यकाल दिसंबर 1970 से जून 1971 तक था और उनका दुसरा कार्यकाल जून 1977 से अप्रैल 1979 तक था उन्हे लोकप्रिय रूप से जननायक के नाम से जाना जाता था।

कर्पूरी ठाकुर की जीवनी
  • जन्म 24 जनवरी 1924 को पितौझिया गांव, बिहार राज्य भारत में हुआ था।
  • राजनीतिक सफ़र – भारतीय राष्टीय कांग्रेस से शुरूवात कर समाजवादी राजनीति में साथांतरिक की।
  • मुख्यमंत्री- 1977 में बिहार के मुख्य्मंत्री के रूप में कार्य किया । सामाजिक न्याय को प्रथमिकता देने के लिए जाने जाते है ।
  • भूमि सुधार- महत्वपूर्ण भूमि सुधार लागू किया गए, भूमि हीन को भूमि उपलब्ध कराए गए।
  • ओबीसी आरक्षण- नौकरियां और शिक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी के लिए आरक्षण की शुरुआत की।
  • विरासत- जातिविहीन और वार्गवाहीन समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्ध के लिए “जन नायक” के रूप में जाने जाते हैं।
  • मृत्यु – बिहार के सामांजिक राजनीतिक प्रीदिस्य पर अमिट प्रभाव छोड़ते हुए 17 फरवरी 1988 को निर्धन हो गाया।

उन्होंने 1940 में मैट्रिक की परीक्षा पटना के विश्वविद्यालय से द्वितीय श्रेणी में पास की। 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन छिड़ गया तो उसमे खुद पड़े। परिणामस्वरूप 26 महिने तक भागलपुर के कैंप जेल में जेल यातना भुगतने के बाद 1945 में रिहा हुए। 1948 में अर्चया नरेंद्रदेव और जयप्रकाश नारायन के समाजवादी डाले प्रादेशिक मंत्री बने। सन 1967 के आम चुनावों में कर्पूरी ठाकुर के नेतुत्व में संयुक्त समाजवादी दल (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी), (संसोपा) बड़ी ताकत के रूप में उभरी 1970 में उन्हें बिहार के मुख्य्मंत्री बनाया गया। 1973 –77 में वे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के छात्र आंदोलन में  जुड़ गई। 1977 मे समस्तिपुर के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से सांसद बने। 24 जून 1977 को पुनः मुख्यमंत्री बने। फिर 1980 में मध्यावधि चुनाव हुआ तो कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में लोक दल बिहार विधानसभा में मुख्य विपक्षितदलके रूप में उभरे और कर्पूरी ठाकुर नेता बने। और इसी तरह उनकी राजनितिक की शुरुवात हुई।

कर्पूरी ठाकुर की जीवनी
कर्पूरी ठाकुर की जीवनी

 संसदीय कर्पूरी ठाकुर के  पास कितना संपति था

कर्पूरी ठाकुर बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता रहें  इसके वजूद घर गाड़ी, जमीन  कुछ भी नहीं था राजनीति के इस ईमानदारी ने उन्हें जननायक बना दिया और वो जबतक जीवित रहे तब तक उनके घर में कोई राजनीतिक में नहीं

कर्पूरी ठाकुर ने क्या नारा लगाया था

सौ में नब्बे शोषित है शोषित से ललकारा है, धन, धारती और राजपाट में नब्बे भाग हमारा है,

यह भी, अधिकार चाहो तो लड़ना सीखो, पग पग पर अड़ना सीखो, जीना है तो मरना सीखो।

कर्पूरी ठाकुर की जीवनी

जन्म तिथि और स्थान : 24 जनवरी 1924 , समस्तिपुर, मृत्यु की जगह और तारीख- 17 फरवरी 1988, पटना दल- भारतीय क्रांति दल, पिछले कार्यकाल- बिहार के मुख्यमंत्री (1977_1979), पुरस्कार – भारत रत्न, बेटा- रामनाथ ठाकुर, राष्ट्रीयता- भारतीय

कर्पूरी ठाकुर की जीवनी
कर्पूरी ठाकुर की जीवनी
कर्पूरी ठाकुर का पुण्यतिथि

यही वजह है कि उनके दोस्त और दुसमान दोनो को ही उनके राजनेतिक फैसलों के बारे में आनिस्चता बनी रहती थी कर्पूरी ठाकुर का निर्धन 64 वर्ष के आयु में 17 फरवरी 1988 को दिल का दौड़ा पड़ने से हो गया था।

तो आपको कर्पूरी ठाकुर की जीवनी आप को कैसी लगी । कॉमेंट ज़रूर करे। धन्यवाद!

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