छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन परिचय: एक संक्षिप्त गाइड

छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन परिचय

छत्रपति शिवाजी महाराज कौन थे

छत्रपति शिवाजी महाराज भोसले भारत के एक महान राजा थे एव राणनितिकार थे। जिन्होंने 1674 में पच्छिम भारत में, मराठा साम्राज्य की नीव राखी, इसके लिए उन्होंने मुग़ल साम्राज्य के शासक से औरँगबे से संघर्ष किया था। सन 1674 में रायगड में  उनका राज्य अभिषेक हुआ और वे ”छत्रपति” बने।

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छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म कब हुआ था

छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को को वर्त्तमान महारष्ट्र के राज्य के पुणे जिले के शिवनेरी किले में हुआ था शिवाजी का जन्म एक मराठा सेनापति के शाहीजी भोसले के घर में हुआ था। बजीपुर के तहत सल्तनत के तहत पुणे और सुपे की जागीर प्रपात की थी। एक धर्मपरायण महिला जीजाबाई के धार्मिक गुणों का इन पर गहरा प्रभावों पड़ा था।

15 वर्ष के उम्र में ही शिवाजी अपना पहला यूद्ध कब लड़ा था।

इन्होने सबसे काम उम्र में पहिली बार 1645 में सौजन्य उत्साह का प्रदर्सन किया, जब वे 15 साल की किशोर उम्र में ही इन्होने बीजापुर के अधीन तोरण किला (TORAN FORT) सफलता पूर्वाक नियंत्रण प्रवत कर लिया। इन्होने कोंढवा किले पर भी अपना अधिकार किया। ये दोनों किले बजीपुर के आदिल शाह के अधीन थे।

छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन परिचयछत्रपती शिवाजी महाराज फोटो
छत्रपति शिवाजी महाराज फोटो
छत्रपति शिवाजी महाराज ने कुल कितने शादी की थी और क्यों ?

छत्रपति शिवाजी महाराज कुल 8 शादिया की थी। सबसे पहला शादी साईबाई निंबालकर से 14 मई 1640 में हुआ था। जो छत्रपति राजाराम की माता थी और महारानी लकिन कुछ प्रवास समय बाद उनकी मृत्यु हो जाती है वे 4 संताने को जन्म दिया था।

शिवाजी कुल 8 शादिया की थी। शिवाजी चाहते थे की सभी मराठा एक आ जाए। अब उनहे अलग अगल मराठो अपने साथ लेन के उनसे सम्बन्ध स्थापित करने के लिए। इसलिए उन्होने वैवाहि मराठो राजनीती के जरिये सभी मरोठों को एक छात्र के निचे लाए। आखिकर सभी मराठा सरदारोंने ने वीर शिवाजी को अपना राजा और रक्क्ष मान लिया और मुगलो शासन के खिलाफ अपना तलवार उठा लिया।

उनके पत्तिंयो के नाम

  1.  साईबाई निंबालकर
  2. सोरयाबाई मोहिते
  3. पतलाबाई पालकर
  4. बाई जाधव
  5. सगणबाई शिंदे
  6. गूढ़वनती बाई  इंगले 
  7. सकवार बाई गायकवाड़
  8. लक्ष्मीबाई विचारे
  9. काशी
  • शिवाजी को छत्रपति की उपाधि कैसे मिली ?

छत्रपति शिवाजी महाराज को कई उपाधि मिली है। 6 जून 1674 को रायगड में उनहे किंग ऑफ़ मराठा से नवाजा गया। इसके अल्वा छत्रपति छत्रियकुल वतस, हिन्दुवा धर्मोद्वारक जैसी उपदिया उनकी वीरता के कारन दी गई थी जिसमे से कुछ इस प्रकार है।

आदिलशा पड़यंत्र – बीजा पुर के शासक ने एक पड़यंत्र  के तहत उनहे गिरफतर करेने की योजना बनाई थी। जिसमे से शिवाजी तो बच कर निकाल गए, लकिन उनके पिता शाहजी भोसले को आदिलशाह बंदी बना लिया। शिवाजी ने हमला कर के पहले अपने पिता जी को मुकत किया। फिर परुंदार और जावे के किलो पर भी अपन अधिकार कर लिया। उनहो ने मुगलो के खिलाप कई जंग लड़े और जीते भी।

उनकी गुरिल्ला यूद्ध कला दुश्मनो पर भरी पड़ा थी उनकी नीतिया, सौन्य योजनाओ और यूद्ध प्रतिभा की वजह से उनका लोहा मानते थे लकिन शक्तिशाली सेना की वजह से महराष्ट्र के सवतंत्र संग्राम के प्रमुख नेता बने।

छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन परिचय

औरंगजेब ने शिवाजी से कैसे धोखा किया।

जून 1665 में शिवाजी और राजा जय सिंह प्रथम (औरंगजेब का प्रतनिधत्वा) के बिच पुरन्दर के संधि पर हस्ताक्षर किये गई। इस संधि मराठो को कई किले मुगलो को देने पड़ा और इसी बिच शिवाजी ने औरंगजेब से मिलने आगरा मिलने के लिए सहमत हुए। शिवाजी अपने पुत्र के साथ आगरा जाने के लिए के लिए तैयार  हो गये। 9 मई 1666 को 4000 मराठा सैनिको के साथ जब औरंगजेब से मिलने शिवाजी अग्गर पहुंचे तब औरंगेजब ने अपने दरबार में अपमानित किया।

औरंगजेब ने शिवाजी को धोखा से गिरप्तार कर लिया था। लकिन अपनी अक्लमंदी से शिवाजी बच निकले और फिर औरंगजेब की सेना के खालिफ यूद्ध किया और पुरंदर संधि के तहत दिए हुआ 24 किलो को वापस जीत लिया।

छत्रपति शिवाजी महाराज राज्याभिषेक किस ने पंडित किया था।

6 जून 1674 को, रायगड किले में, मराठा योद्धा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषक कशी के प्रसिद्ध पंडित श्री गंगा भट ने  वेदो मंत्रो के उच्चारण से उनका राज्यअभिषेक किया था और ताज पहनाया गया। उस किले पर हुआ था जहा से उन्होंने हिन्दवी- स्वराज या हिन्दुओ के स्व- शासन की स्थापना की थी। अभी हाल ही में महारष्ट्र के रायगड किले पर 350 वा राज्याभिषेक मनाया गया।

छत्रपति शिवाजी महाराज ने कुल कितने यूद्ध लड़े ?

छत्रपति शिवाजी महाराज ने कुल 10 यूद्ध लड़ा। 

प्रतपगढ़ की लड़ाई 1659

10 नवंबर,1659 को मराठा राजा श्री छत्रपति शिवाजी महाराज और आदिलसाही सेनापति अफजल ख्हाँ की सेनाओ के बिच भारत के महारष्ट्र के सतरा शहर के पास प्रतापघड़ लड़ा गया था इस यूद्ध में शिवाजी की जीत और अफजल खा की मौत हुआ था।

कोल्हापुर की लड़ाई

28 दिसंबर ,1659 को कोल्हापुर के पास मराठा छत्रपति शिवाजी और आदिलखान के बिच यूद्ध हुआ कहा जाता है की जीत के बाद शिवा जी ने किले का नाम बदल कर विशालगढ़ रख दिया था।

पवन खिंड की लड़ाई

प्रतपगढ़ और कोहलपुर के हर के बाद आदिलसाहा बदला लेना चाहता था 13 जुलाई 1660 को मराठा सरदार बजी प्रमुख देशपांडेय और  शीदी मसूद के बिच महारष्ट्र के कोल्हापुर सहर के पास विशालग़ाड किले के पास पहड़ि दरें पर यह तीसरा यूद्ध लड़ा गया।

चाकण की लड़ाई

यह यूद्ध सन 1660 में मराठा साम्राज्य और मुग़ल साम्राज्य के बिच लड़ा गया था औरंजेब ने साईंस्ता खान को शिवाजी पर हमला करने के लिये भेजा और पुणे से लगभग 30 KM दूर चाकण के किले पर घेराबंदी कर दी लकिन आखिर में शिवाजी ने इस साईंस्ता को पराजित कर  दिया।

अम्बरखिंद की लड़ाई

30,000 सैनिक को एक साथ एक उज्बेक सेनापति, करतलब खान को 3 फ़रवरी 1661 को कोकण में शिवाजी के किले पर हमला करने के लिए भेजा गया था लिकेन शिवाजी ने उनपर उम्बर खिंद; पर चरो तरफ से हमला किया और चार घंटे में ही दुसमन हार मान लिया और आत्म समर्पण कर दिया।

सूरत की बखास्तगी लड़ाई 

यह युद्ध 5 जनवरी ,1664 को भारत के गुजरात के सूरत में शिवाजी महाराज और मुग़ल कप्तान इनायत खान के बिच हुआ था।

पुरुन्दरी की  लड़ाई 

1665 में मुग़ल साम्राज्य और मराठा साम्राज्य के बीच लड़ा गया था।

सिंहग़ढ़ की लड़ाई 

पुणे से 15 किलोमीटर दूर एक किला कोंढाणा अभी भी एक मुग़ल सेनापति के नियंत्रण में था। 4 फरवरी 1670 को शिवाजी महाराज अपने सबसे वरिस्ट और भरोसेमंद जर्नल में से एक, तना जी मालुसरे को कोंढाणा पर कबजा करने के लिए मिशन पर भेजा दिया। यह लड़ाई लोक कथावो में खूब लोकप्रिय है। जब शिवाजी को पता चालाकी उनहोने अपना वफादार और भरोसेमंद दोस्त खो दिया है। तो उन्होंने कहा गढ़ आला पण सिंह गेला इसका मलतब है की हमने किला जित लिया है पर शेर खो दिया है।

कल्याण की लड़ाई 

1682 और 1683 के बिच लड़ा गया  जिसमे मुग़ल साम्राज्य के बहादुर खान ने मराठा साम्राज्य को हराकर कर कल्याण पर अधिकार कर लिया।

भूपालगढ़ की लड़ाई 

यह यूद्ध 1679 में मराठा साम्राज्य और मुग़ल साम्राज्य के बिच हुआ जिसमे मुगलो ने मराठा साम्राज्य को हराया।

छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन परिचय

छत्रपति शिवाजी महाराज की कुल कितनी पत्निया थी

छत्रपति शिवाजी महाराज ने कुल 8 शादिया की थी और उनकी 8 पत्नियां थी और उनकी पहली शादी 14 मई 1640 में साई बाई निंबालकर के साथ हुआ था । जिनहोने 4 संताने पैदा की थी।

मुगलो के साथ शिवाजी का संघर्ष-

मराठों ने अहमदनगर के पास और वर्ष 1657 में जूनर में मुग़ल त्र क्षेत्र पर हमला छापा मारा जिसमे शिवाजी  ने 300,000 हूण नगद और 200 घोड़े ले गए। औरंगबजेब ने नाशिर खान को भेज कर छापेमारी का जबाब दिया’ जिसमे अहमदनगर शिवाजी की सेना को हराया था। शिवाजी ने  वर्ष 1659 में पुणे में साईंस्ता खान (औरंगबजेब के मामा) और बीजा पुर की एक बड़ी सेना को हराया था। शिवाजी ने वर्ष 1664 में सूरत में मुग़ल वयापारिक बंदरगह को अपने कबजे में ले लिया।

शिवाजी महाराज की गिरफ़्तारी-

जब शिवाजी 1666 में आगरा मुग़ल सम्राट से मिलने गई। तो मराठा का अपमान किया है जिसमे वे दरबार से बहार आ गए। जिसके बाद वे बहार आ गए। शिवाजी और उनके पुत्र का आगरा से भागने की कहानी अज्ज भी प्रमरिक नहीं है। इसके बाद वर्ष 1670 तक मराठा और मुगलो के बिच शांति बानी रही। मुगलो द्वारा संभाजी को दी गई बराबर की जागीर उनसे वापस ले लिया गया था। इसके बाद शिवाजी ने अपनी सैन्य रानीति के माध्यम से दकन और पछिम भारत में भूमि का एक बड़ा हिंसा हासिल कर लिया।

छत्रपति शिवाजी महाराज के पास कुल कितनी तलवारे थी।

शिवाजी के पास कुल 3 तलवारे थी  ये तीनो दुर्गा के रूप में थे इनमेसे  तुलजा और भवानी महाराष्ट्र में है और जगदम्ब  इंग्लैंड में है।

  • तुलजा
  • भवानी
  • जगदम्ब
छत्रपति शिवाजी महाराज कुल किले कितने जीते थे।

छत्रपति शिवाजी महाराज अपने शासन कल में कुल 360 किले जीते थे।

शिवाजी महाराज की मृत्यु कैसे हुई

विष पिलाने के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज का 3 अप्रैल 1680 में उनकी मृत्यु हो गई। उस समय शिवाजी के उतारीधाकरी संभजी को मिला। शिवाजी के सबसे बड़े पुत्र संभजी थे और दूसरी पत्नी से राजाराम नाम से एक पुत्र था उस समय राजाराम की उम्र 10 वर्ष थी। अतः मरोठों ने संभजी को राजा मन लिया।

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