वीर सावरकर का जीवन परिचय
वीर सावरकर कौन थे?
उनका पूरा नाम (विनायक दामोदर सावरकर ) वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 में महारष्ट्र के नाशिक जिले के एक छोटा सा गांव भगूर के एक ब्रह्म हिन्दू परिवार में हुआ था। इन के बारे में जानने से पहले जानने से पहले ये कुछ बाते इनके बारे में जान ले।इनके पिता के नाम- दामोदर सावरकर, माता का नाम- यशोधा सावरकर था, पत्नी- यमुना बाई, भाई- गणेश और नारायण, बहन- मैनाबाई, राजनितिक दाल- हिन्दू महासभा, धार्मिक विचार धरा- नास्तिक, शिक्षा -फर्गुशन कॉलेज पुणे, महारष्ट्र से कला सनतक व्यसाय – वकील राजनीतिज्ञ लेखक और कार्य करता था।
- वीर सावरकर एक समाज सुधारक थे। सवतंत्र सेनानी थे, इतिहासकार थे, राजनेता थे
- हिन्दू राष्ट्रवाद की राजनीतिक विचारधरा वीर सावरकर को कहा जाता है।
- जाती वेवस्ता खत्म करने और हिन्दू धर्म को पुनः परिवर्तन की वकालत की |
- इंग्लैंड में अभिनव भारत सोसिस्टी और फ्री इंडिया जैसी छात्र समिति की स्थापना की |
- 1970 में भारत सरकार द्वारा एक समारक डाक डाक टिकट जारी किया गया था |
- 1996 में प्रियेदर्शान द्वारा मालयम फ्लिम कालापानी में में हिंदी अभीनेता आत्रु कपूर ने भूमिका नाभिया था
- 2003 में भारतीय संसद में सावरकर ने एक चित्र का अनावरण किया था |
- 1857 में भारतीय विद्रोह के बारे में ( द इंडियन वॉर ऑफ डिफेन्स) प्रकासित किया था।
वीर सावरकर की पुस्तक –
- हिन्दूपदपतशाही
- हिन्दू तनाशाही
- 1857 में स्वाधीनता समर
- कला पानी
- जाती पर निबंध
- दुसमन के खेमे में
- लन्दन पत्र
- अन्डम के अंधरे में
- जोसेफ माजिनि
- हिन्दू राष्ट्र दर्सन
- हिन्दू धर्म के पंच प्रमाण
- कमला
- सावरकरप्ण की कविता
सावरकर की छात्र जीवन
सावरकर अपने जीवन में सबसे ज्यादा किससे प्रवित हुए राष्ट्रवदि नेता लोकमान्य तिलक से प्रभावित हुए थे। सावरकर ने महाराष्ट्र पुणे के फर्गुसन कॉलेज में स्टूडेंट के रूप में अपनी राजनितिक साकिरिया जारी राखी। लोकमान्य तिलक सावरकर से प्राभावित हुए और सावरकर को लन्दन में क़ानूनी पढाई के लिए 1960 में भेजा और शिवा जी छात्रविर्ती प्रताप करने में मदत की। 1960 में बंगाल विभाजन के विरोद में सावरकर ने बलगंगाधार तिलक की उपास्थि में छात्रों के साथ मिलकर भारत में विदेशी कपड़ो की होलिका जलाई।
वीर सावरकर कला पानी की सजा –
सावरकर को कला पानी सजा इस लिए हुआ की नासिक जिला के कलेक्टर जैकसन की हत्या करने के 50 वर्ष के उम्र कैद की सजा मिली थी तब उनकी उम्र सिर्फ 28 वर्ष की थी। नाशिक पड़यंत्र के अंतरगत उन्हे 7 अप्प्रिल 1911 को कला पानी के सजा पर सेलूलर जेल भेज दिया गया था।कला पानी जाने के बाद वह कैदियों से नारियल छील उसमे से तेल निकलने को बोला जाता था। जब सावरकर को अण्डमान भेजा गया तो तो उनहे एक कुरता, पतलून, सफ़ेद टोपी दी गई थी। उनहे कैदियों वाला विलानो 32778 था। सावरकर को अन्य कैदियों से अलग अंडाकार कोठरी में रखा गया था। उस कोठरी में एक कोने में फांसी देने की स्थान भी थी। जेल के बैरी सावरकर का नाम “बम गोला नंबर 7” रखा दिया था।
सावरकर को कला पानी की सजा हुआ तो उनकी उम्र क्या थी?
सुन 1911 में जब पहली बार सावरकर कला पानी की सजा हुई तो 50 वर्ष की उम्र कैद की सजा हुई थी। तब उनकी उम्र मात्रा 28 से 29 वर्ष की थी। जो की उस समय के सबसे कम के कैदी थे।
विक्रम सम्पत एक पब्लिकेशन में लिखते है की उस जेल में धर्म को लेकर काफी भेद भाव होते थे। हिन्दू कैदियों के जेऊन काट दिए जाते थे जब की मुसलमनो दाढ़ी रखेने की इजाजत थी और लिखाते है की हिन्दू कैदियों को कटर मुस्लिम पहरादरो की बिच रखा जाता था और उन्हें काफिर कहकर पुकारा जाता था और उनहे कई बार पीटा भी जाता था। सावरकर जिस सेकुलर जय में उस जेल में करीब 100 कैदी थे।
वीर सावरकर की पुस्तक
सावरकर ने अंग्रेजी और मराठी कुल 38 किताबे लिखी || उनकी सबसे प्रसिद्ध किताब द इंडियन वॉर ऑफ़ डिफेन्स है। 1857 में और उनका पम्पलेट हिन्दुतवा- हिन्दू कौन है ?
वीर सावरकर के योगदान
वीर सावरकर 6 जानवरि 1924 को जेल से रिहा होने के बाद उन्होने रत्नागिरी हिन्दू सभा के निर्मार्ण में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाई।इस संगठन का उद्देश्य हिन्दुओ की सामजिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना था।
1937 में हिन्दू महाषभा के अध्यक्ष बने और दूसरी और मुहमद अली जीना ने कांग्रेस शासन को हिन्दू राज घोषित कर दिया, जिससे हिन्दुओ और मुसलमानो के बिच पहले से बढ़ रहा तनाव और भी बतर हो गया।
और दूसरी और इस बात को नजर अंदाज नहीं कर सकते थे की वीर सावरकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और महात्मा गाँधी के आलोचक थे उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का बिरोध किया और बाद में और कांग्रेस द्वारा भारतीय विभाजन को शिवकर किया और अप्पति जताई। उन्होंने एक देश में दो राष्ट्र के सह अस्तितवा का परसातवो रखा।
वीर सावरकर ने 1857 के विद्रोह के तर्ज पर सवतंत्र प्राप्ति के लिए गुरिल्ला युद्ध के बारे में सोचा। उनहने “द हिस्ट्री ऑफ़ वॉर इंडियन इंडेपेंडेड” नमक किताब के बारे में लिखा। जिसने कई भारतीयों को आज़ादी के लिए अंग्रेजो के ख़लीफ़ लड़ने के लिए प्रेरित किया।
वीर सावरकर पुण्यतिथि –
वीर सावरकर की मृत्यु 26 फ़रवरी को मुबई में हुई थी। वे एक बहुत बड़े सवतंत्र सेनानी थे और देश वे सच्चे देश भगत थे।